बाल झड़ने का उपचार: इसकी लागत, फायदे और जोखिम विस्तार से सब कुछ जानिए आन्ध्र प्रदेश में

आन्ध्र प्रदेश में बाल झड़ने की समयसा लोगो में बहुत ज़्यादा देखी जा रही है। बाल हर एक इंसान के लिए बहुत ही ज़रूरी होते है। यह संकट एक उम्र के बाद लोगो में बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है. आज कल यह समयसा नोजवानो में बहुत ज़्यादा बढ़ रही है। दुनिया भर में बहुत सरे लोग इसका इलाज करवा रहे है ताकि वो इस समयसा से छुटकारा पा सके। बालो का झड़ना अलग अलग वजह से हो सकता है जैसे हार्मोनल परिवर्तन, ज़िन्दगी जीने का तरीका, तनाव, और किसी दुसरी बीमारी की वजह से हो सकता है । हेयर ट्रांसप्लांट का इलाज मदद करता है इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए।

उपचार

हेयर ट्रांसप्लांट की सर्जरी को करने के दो तरीके हैँ।

  • पहला फॉलिक्युलर यूनिट ट्रांसप्लांटेटिशन, इस तकनीक में बालो के उस भाग से लेकर टांके लगाए जाते है जहाँ पर बाल सबसे ज़्यादा हो। फिर बाद में यही भाग वहां लगाया जाता है यहाँ पर बाल बहुत कम हो। इस तकनीक का नुकसान यह है की सर्जरी के बाद सिर पर निशान रह जाते है।
  • दूसरा फॉलिक्युलर यूनिट एक्सट्रैक्शन, इस तकनीक में एक-एक बाल निकला जाता है. फिर इन बालों उस जगह लगाया जाता है जहाँ पर बाल बहुत ही कम हो। इस तकनीक का फ़ायदा यह है की इसमें बालों पर निशान नहीं रहते।

सर्जरी की कीमत

इस सर्जरी की कीमत आमतौर पर ₹ ३०,०००  से ₹ १,००,००० है। यह अलग-अलग कारण पे निर्भर करता है की कीमत कितनी होगी । जैसे की आप किस जगह से इलाज़ करवा रहे हो, डॉक्टर को कितना अनुभव है, सर्जरी में कितने ग्राफ्ट्स की ज़रुरत पड़ेगी, और तरीका कोनसा इस्तेमाल किआ जायेगा सर्जरी में।

फ़ायदा

इस सर्जरी का फ़ायदा यह है की इससे व्यक्ति का आत्म-विश्वास बढ़ता है।  इस प्रक्रिया के बाद गंजा पन दूर हो जाता है और आपकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है। इसका सबसे बड़ा फ़ायदा यह है की बाल बिल्कुल प्राकृतिक

दिखते हैं। सर्जरी के कुछ समय बाद ही आप अपने सामान्य जीवन में लोट आते हैं.

सर्जरी के जोखिम

सर्जरी करवाने के बाद दुष्प्रभाव बहुत ही मामूली होते है जो की कुछ हफ्तों में दूर हैं। पर कुछ मरीज़ो को बहुत ही मुश्किल का सामना करना पड़ता है। जैसे कि

  • आँखों के चारो और नील पड़ जाना
  • खून बहना
  • सूजन
  • अस्थायी रूप से बालों का झड़ना
  • खुजली

सर्जरी करवाने से पहले अच्छी तरह से डॉक्टर से जानकारी प्रापत कर लें अच्छे से सोच विचार करके ही किसी नतीजे पर पहुंचे।

आईये जानते हैं गंजेपन का इलाज हेयर ट्रांसप्लांट आन्ध्र प्रदेश में

गंजेपन का इलाज और हेयर ट्रांसप्लांट के कुछ मूलभूत तथ्य

आन्ध्र प्रदेश, विशाखापट्नम: हेयर ट्रांसप्लांट (Hair transplant) किसी व्यक्ति के एक भाग से लेकर दूसरे भाग में बाल ट्रांसप्लांट करने के द्वारा बालों के झड़ने के क्षेत्रों का उपयोग करने में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है। इसको ज्यादातर पुरुष पैटर्न गंजेपन में उपयोग किया जाता है, महिला पैटर्न गंजेपन, आघात,  जलने, शल्य चीरे, आदि के कारण होने वाले बाल झड़ने में भी प्रयोग की जाती है।

पुरुष पैटर्न गंजापन ज्यादातर मामलों में ९०% में देखने को मिलता  है दो तरह के मरीज होते हैं, पहले वो जो २० साल से कम उम्र वाले युवा जिनमें गंजेपन का उच्च स्तर पाया जाता है और दूसरे वो जो ४० वर्ष से कम उम्र के वे व्यक्ति जो अपनी उम्र के अनुसार औसत बालों  से अधिक खो चुके होते हैं.

कॉस्मेटिक  प्रक्रिया है हेयर ट्रांसप्लांट

यह एक मानी जाने वाली परिक्रिया है और  मरीज की अपनी इच्छाएँ इस ऑपरेशन को करने के लिए प्रमुख प्रेरक कारण है। यह परिक्रिया से  बहुत ज्यादा लाभ हो सकते हैं। हेयर गायब होना उस व्यक्ति के  सामाजिक एवं पेशेवर, दोनों प्रकार की अवस्था को परभाभित कर सकता है,  और वह लोग जो इसके प्रति नाजुक हैं|

 दोबारा से उग सकेंगे गंजे सर पर बाल

नासा वैज्ञानिको के कुछ प्रयोगों से पुरषों के गंजे होने के कारण ढूंढे है और साथ ही साथ यह भी उम्मीद जताई है के इस प्रयोग से गंजेपन को रोकने का स्वस्थ इलाज़ के साथ साथ बालों को द्वारा उगाने भी संभव हो जयेगा।

गंजे पुरूष और प्रयोग

गंजे व्यक्ति और लेब्रटॉरी में चूहों पर किए गए प्रयोग  के आधार पर  वैज्ञानिकों ने एक प्रोटीन की खोज की है  जो कि बालों के झड़ने का मुख कारण है। सइंस ट्रांसलेशन मेडिसिन के नाम की पत्रिका में बताया गया है कि गंजेपन को कम करने के लिए दवाईयाँ की खोज की जा रही है। इस के पूरे होते ही गंजेपन को रोकने की एक क्रीम भी बनाई जा सकती है।

अधिकतर गंजेपन का सामना पुरुष उम्र के आधे पड़ाव में करते हैं जहाँ के ७० के ८० प्रतिस्थ पुरषों में ७० साल की उम्र में ही बाल झड़ने लग जाते हैं। यह अवस्था आखिर में गंजेपन में बदल जाती है।

बालों का दुबारा आना 

पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता मनुष्य के गंजेपन के शुरू होने की शुरआत होने पर कोनसा विशिष्ट जीन उसके लिए जिम्मेदार होता है। रैसेअर्चे ने बताया है के प्रोस्टाग्लैंडिन डी सिन्थेज नाम के एक महत्वपूर्ण प्रोटीन बहुत सत्रों पर गंजे हुए सथानो पर बाल पुटिकाओं में इकठे होती रहती हैं। और यह प्रोटीन बाल वाली जगह पे नहीं होती। चूहों की उन प्रजातियों में जिनमें इस प्रोटीन का उच्च स्तर दिया गया, वे पूरी तरह से गंजे हो गए जबकि उन पर उगाए गए मानव बाल इन प्रोटीन्स को देने पर उगने बंद हो गए.

इस शोध का प्रयोग करने वाले वैज्ञानिक प्रो. जॉर्ज कोट्सारेलिस ने बताया है, “बिल्कुल हम कह सकते हैं कि जब हमने गंजी खोपड़ी में प्रोस्टाग्लैंडिन प्रोटीन दिया तो बालों के उगने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इसी से हमने मानव में गंजेपन के इलाज का लक्ष्य सुनिश्चित किया।”

वैज्ञानिक प्रो. जॉर्ज कोट्सारेलिस के अनुसार अगले आने वाले प्रयोगों में  उन मध्य  यौगिकों की जानकारी दी जाएगी की यह इस तरह के प्रक्रिया को कैसे  प्रभावित करता है। इसके साथ ही यह भी जानने का प्रयास किया जाएगा कि  इसके रुक जाने पर क्या इसके विपरीत होगा।